Friday, May 14, 2010

संस्था समाचार :

राजस्थान के छोटे से शहर पीपाड में २८ व २९ जुलाई को सत्संग संपन्न हुआ. इस शहर में पूज्यश्री का प्रथम आगमन था . यहाँ पिछले तीन-चार साल से भारी अकाल था . न जाने क्यों इस क्षेत्र से मेघ देवता नाराज थे . लोगों ने पूज्यश्री से प्रार्थना की . सत्संग के दौरान उपस्थित श्रद्धालु श्रोताओं से पूज्यश्री न पूछा : “बरसात चाहिए?” सभी ने एक स्वर में हामी भरी और समस्त सत्संग मंडप में सन्नाटा छा गया . पूज्यश्री मौन हो गए . बारिश लाने के मंत्र का स्मरण किया . कुछ ही क्षणों में तेज बारिश शुरू हो गयी, बारिश के इंतज़ार में मुरझाये स्थानीय लोगों के चेहरों पर खुशी छा गयी . तेज बरसात देखकर लोग चकित हो गए, नाचने लगे .

प्रार्थना और मंत्र के बल का प्रत्यक्ष दर्शन करके ईश्वर के प्रति लोगों की आस्था बढ़ी, आनंद बढ़ा . पूज्य बापूजी के समक्ष प्रत्यक्ष दैवी लीला को देखकर लोग निहाल हो गए . इसके हजारों प्रत्यक्षदर्शी रहे . भारतीय संस्कृति का मंत्र-विज्ञान अभी भी सक्षम है. शुद्ध ह्रदय व श्रद्धावान मंत्रशक्ति को जाग्रत कर लेते हैं और घटना घाट जाती है . जैसे १९५६ में राजगोपालाचारी ने वर्षा करा दी .

क्षेत्र में बस एक ही चर्चा आम हो गयी, सभी की जुबान पर यही सुनाई दे रहा था कि “बापू आये, बरसात लाये .”

स्रोत्र : पेज ३३, ऋषि प्रसाद, सितम्बर २००६, वर्ष : १७, अंक : १६५

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