Wednesday, May 12, 2010

गुरू जीवित है तब भी गुरू, गुरू होते हैं और गुरू का शरीर नहीं होता तब भी गुरू गुरू ही होते हैं।
गुरू नजदीक होते हैं तब भी गुरू गुरू ही होते हैं और गुरू का शरीर दूर होता है तब भी गुरू दूर नहीं होते।
गुरू प्रेम करते हैं, डाँटते हैं, प्रसाद देते हैं, तब भी गुरू ही होते हैं और गुरू रोष भरी नजरों से देखते हैं, ताड़ते हैं तब भी गुरू ही होते हैं

लोग क्यों दुःखी हैं ? क्योंकि अज्ञान के कारण वे अपने सत्यस्वरूप को भूल गये हैं और अन्य लोग जैसा कहते हैं वैसा ही अपने को मान बैठते हैं | यह दुःख तब तक दूर नहीं होगा जब तक मनुष्य आत्म-साक्षात्कार नहीं कर लेगा

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