Wednesday, January 30, 2008

-: आश्रम द्वारा प्रकाशित सत्साहित्य से लिए कुछ अनमोल वचन :-

शराबी समझता है की मैं शराब पीता हूँ। वास्तव में शराब उसे पी लेती है। बीडी पीने वाले को बीडी पी लेती है। बीडी पीने से ६४ बीमारियों की नींव पड़ जाती है. सुबह को जो खाली पेट चाय पीते है उनका वीर्य कमजोर हो जाता है । ओज नष्ट हो जाता है।
हल्के खान पान और हल्के विचारो से भी बचना है । हल्के संग से भी बचना है। कोई आदमी गरीब है , उसका संग करना हल्का नहीं है । जो तुच्छ चीजे पाकर, भोगी जीवन जीकर अपने को भाग्यवान मानते है उनका संग हल्का संग है । एसे लोगो की बुद्धि तो हल्की है ही ऐसे लोगो को जो बड़ा मानता है उन पर ज्यादा दया आती है । जिसके पास अधिक सुविधा है वह बड़ा नहीं है। बड़ा आदमी तो वह है जो बिना सुविधा के भी आनंदित रह सकता है, प्रसन्न रह सकता है।
दिले तस्वीरे है यार जबकि गर्दन झुका ली और मुलाकात कर ली ।
(आश्रम की समता साम्राज्य पुस्तक से)

श्री रामकृष्ण परमहंस कहा करते थे : किसी सुन्दर स्त्री पर नजर पड़ जाये तो उसमे माँ जगदम्बा के दर्शन करो । ऐसा विचार करो की यह अवश्य देवी का अवतार है , तभी तो इसमें इतना सौन्दर्य है। माँ प्रसन्न होकर इस रूप में दर्शन दे रही है , ऐसा समझकर सामने खड़ी स्त्री को मन ही मन ही मन प्रणाम करो . इससे तुम्हारे भीतर काम विकार नहीं उठ सकेगा। पराई स्त्री को माता के समान और पराए धन को मिटटी के धेले के समान जानो ।

(आश्रम की यौवन सुरक्षा पुस्तक से )

जैसे बीज की साधना वृक्ष होने के सिवाय और कुछ नहीं, उसी प्रकार जीव की साधना आत्मस्वरूप को जानने के सिवाय और कुछ नहीं। तुम्हारे जीवन में जितना संयम और वाणी में जितनी सच्चाई होगी, उनती ही तुम्हारी और तुम जिससे बात करते हो उसकी आद्यात्मिक उन्नति होगी। अपने दोषों को खोजो। जो अपने दोष देख सकता है , वह कभी न कभी उन दोषों को दूर करने के लिए भी प्रयत्नशील होगा ही। एसे मनुष्य की उन्नति निश्चित है ।

(आश्रम की अमृत के घूँट पुस्तक से )
इस सेवा में एक साधक भाई का पूर्ण सहयोग मिला । नारायण हरि

Tuesday, January 29, 2008

चेतना स्रोत : संत - महापुरुष वाणी

निर्भयता जीवन हैं, भय मृत्यु हैं उपनिषदों में बम की तरह आनेवाला शब्द 'निर्भयता' सारे अज्ञान-अन्धकार को मिटाता हैं भयभीत चित्त से ही सारे पाप होते हैं अतः निर्भय रहो ।

सदाचार निर्भयता की कुंजी है ।
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- परम पूज्य संत श्री आसारामजी बापू


धन्या माता पिता धन्यो गोत्रं धन्यं कुलोद्भवः
धन्या च वसुधा देवी यत्र स्याद गुरुभक्तता ॥


हे पार्वती ! जिसके अन्दर गुरुभक्ति हो उसकी माता धन्य है, उसका पिता धन्य है, उसका वंश धन्य है, उसके वंश में, जन्म लेनेवाले धन्य हैं, समग्र धरती माता धन्य है

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- भगवान शिवजी


'गीता'

विवेकरूपी वृक्षों का एक अपूर्व बगीचा है यह सब सुखों की नींव है सिद्धान्त-रत्नों का भण्डार है नवरसरूपी अमृत से भरा हुआ समुद्र है खुला हुआ परम धाम है और सब विद्याओं की मूल भूमि है

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- संत ज्ञानेश्वर महाराज


एक साधक भाई द्वारा संकलित । साधोवाद ....

Wednesday, January 23, 2008

पूज्य गुरुदेव ने महिलाओं की समस्याओं को घरेलु उपचारों से आसानी से ठीक होने की कुछ युक्तियाँ बताई ।

सदगुरुदेव ने महिलाओं कि तमाम समस्याओ के लिए ये उपाय बताया और जरा जरा बातो मे डरने की आवश्यकता नही और ऑपरेशन भी नही करे ऐसा भी कहा है..

लेडीज की प्रोब्लेम्स(मासिक धर्म कि समस्याये) के लिए उपाय:-

गुरुदेव ने कहा कि देवियों को मासिक धर्म कि प्रोब्लेम हो तो पैन किलर /इंजेक्शन न लें, बहुत नुकसान करते हैं…कोई भी स्त्रियों की गुप्त बिमारी हो, रात को पानी रख लो सवा लीटर, ताम्बे का बरतन हो तो ठीक है, नहीं तो किसी में, सवेरे मंजन कर के, ब्रश करने से फायदा नहीं होता, मंजन करना चाहिऐ, मैं (गुरुदेव) भी मंजन करता हूँ…मंजन करके तुलसी के ५ पत्ते खा लिए…लेकिन रविवार को तुलसी नहीं खाना, नहीं तोडना
५ पत्ते खा लिए और पानी पी लिया…वैसे तो सूरज उगने पर ही पानी पीना चाहिऐ, रात्री को पानी पीना जठरा मन्द करता है…रात्री को देर भोजन करना बिमारी लाता है॥और दिन में भोजन कर के सोना बिमारी लाएगा…यह बातें समझ लो तो आप निरोग रह सकते हो…तो वोह पानी पी लिया सवा लीटर, थोडा घूमे फिरे, ८ दिन के अन्दर कब्जियात की बिमारी, पेट साफ नहीं आता तो साफ आने लगेगा…मासिक में पीड़ा होती है तो पीड़ा मिट जाएगा, जादा/कम आता है तो ठीक हो जाएगा…नहीं आता है, संतान नहीं होती है…आने लगेगा, और संतान का मंत्र भी दे देंगे, संतान भी हो जायेगी…ऐसे लोग थे डॉक्टर बोलते थे संतान नहीं होगी, ऐसे लोगों के घर में अभी ३-३ संतानें खेल रही हैं…
स्रोत्र : पूज्य गुरुदेव के सत्संग से
नारायण हरि
-: दिल्ली जनवरी २००८ पूर्णिमा दर्शन सत्संग के अंश :-
पूज्य श्री बापू जी ने दिनांक २१ जनवरी २००८ को रामलीला मैदान , अजमेरी गेट , दिल्ली के सत्संग में धर्म की पाँच शाखाओं के बारे में विस्तार से बताया । उसके कुछ अंश :

bhagavan ne gita ke 3 re adhyay ka 35 va shlok

shreyanswadharmo viguna: pardharmatswanusthitat l
swadharme nidhanam shreya paradharmo bhayawaha: ll


dharm ki 5 shakhaye hoti hai …
1)swa-dharm
2)par dharm
3)aabhas dharm
4)upama dharm
5)chhal dharam

chhal dharm :- kuchh log dikhave ke liye, shradha nahi lekin aarati kar rahe ..patni kar rahi.. ” mai bhi kar raha hun maharaj “.. aap ko dandavat kiye.. “mai bhi samiti mey hun..” isko bolate chhal dharam..aise rushi parsad ki sewa be-imani se kare to isase nahi karo to achha hai ..jo imandar hai un ko aanand aayega.. rushi prasad ke members ki 16 tarikh ko baithak thi..mai nahi jata kabhi..lekin is baar socha chalo baith jate….to ek advocate bole ,” meri membership chhin li gayi hai, mera kuchh bhi aparadh nahi tha..aparadh naa ho aur phir bhi sewa nikal li gayi , aur wo bhi advocate ki…. to pata chala ki inhone membarship to nibhayi hai,lekin usaka paisa dusari jagah laga diye.. ye chhal-dharm ho gaya na advocate sahab ..usaka nam nahi leta..usaki badanami nahi karunga..

aabhas dharm :- makar sankranti ka ddan dena hai, ekadashi ka daan dena hai to apane hi ghar ke kaamwale ko , nokaro ko de diya …ekadashi ko , navaratri ko 12 kanya ko khana khilana hai to apane beti ki kanya rishtedaro ko bulaaya ye dharm aabhaas dharm hai ..jo dharm ka kewal aabhaas denewala hai isliye is ko “abhas dharm” kahate hai…

upama dharm :- bina dekhe , bina soche ..usane kiya to apana bhi karo..phir ye karane se kya phal hai ye bhi nahi sochate… dikhaavati.. ‘hum bade tapasvi hai, paidal nange pair jaate’.. jaise kayi log nange pair chalate, to apan bhi chale..pahala jamana tha..log nange pair paidal yatra karate..wo jamana alag tha..tub hariyali thi, to aalhad milata nange pair chalane , thakan bhi nahi lagati.. vinoba bhave bolate ki , “ham bhi upama dharm mey phisal gaye the.. parinam pairo ko phaphule..dambar ki sadak hoti hai ..aankhe kharab ho gayi.. “