Wednesday, July 30, 2008

अनमोल सत्संग : ॐ ॐ
हरि ॐ .... प्लुत गुंजन .......
निःसंकल्प्ता से विश्रांति मिलती है और सहज अवस्था प्रकट होती है , उसको सहज समाधि भी बोलते हैं ।
भगवान् के नाम रोग मिटाते हैं ।
ॐ अच्युताय नमः - २१ बार मंत्र जप कर पानी पियें अथवा किसी को दें , बहुत लाभ होता है ।
औषधि लेते समय बांया नथुना चले और दांया नथुना बंद कर दें ।
हाजमा ठीक करना हो तो गाय का घी अथवा सरसों का तेल नाभि पर लगायें । जिस प्रकार घड़ी के कांटे घूमते हैं उसी प्रकार नाभि पर हल्की मसाज करें ।
प्रिय वाणी सहित दान कलियुग में बड़ा लाभ देता है । कटु वाणी नहीं , धन का अंहकार नहीं करना चाहिए ।
आठ प्रकार के दान होते हैं लेकिन सत्संग का दान .... आहा ....
भक्ति का दान , सत्संग का दान बहुत ऊँचा है ।
हरि ॐ का उच्चारण करके चुप हो जाते हैं तो ध्यान में विश्राम मिलता है और हमारे दोषों को मिटने की शक्ति मिलती है ।

हरि ॐ ...... गुंजन .....
जितनी देर जप करें उतनी देर चुप हो जायें , बहुत ऊँची साधना हो जायेगी ।
"एक साधे सब सधे ..... "
"कबीरा इह जग आए के , बहुत से किन्हें मीत
जिन दिल बंधा एक से , वो सोये निश्चिंत "
"कबीरा मन निर्मल भयो , जैसे गंगा नीर
पीछे पीछे हरि फिरे , कहत कबीर कबीर "
ब्राह्मण जटाशंकर और संत रैदास की कथा ....

आपके संकल्प में सामर्थ्य तब आता है जब आप चुप हो जाते है ।
हम भगवान् और संतो को तुच्छ चीज देते हैं लेकिन बदले में जो हमें मिलता है वो तो महाराज ....
हम जो देते हैं वो दिखता है और जो दिखता है वो नश्वर है । जो महापुरुष देते हैं उसका तो बखान नहीं किया जा सकता ।

नारायण हरि --
आज सुबह (३० जुलाई २००८) सोनी टेलीविजन पर प्रसारित सत्संग के कुछ अनमोल वचन । यह पूज्य गुरुदेव की अमृतमयी वाणी को सुन कर लिखा गया है अतः लिखने में त्रुटि होने की संभावना है । कृपया यदि कोई त्रुटि हो गई हो तो क्षमा करें।

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