Tuesday, July 15, 2008

अनमोल वचन :

सर्व दृश्य को भूलना
जानके असत् संसार ।
चित्त ब्रह्म में लीन कर
यही है सच्चा सार ॥
- परम पूज्य संत श्री आसारामजी बापू

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'गीता'
विवेकरूपी वृक्षों का
एक अपूर्व बगीचा है
यह सब सुखों की नींव है
सिद्धान्त-रत्नों का भण्डार है
नवरसरूपी अमृत से
भरा हुआ समुद्र है
खुला हुआ परम धाम है और
सब विद्याओं की मूल भूमि है
- संत ज्ञानेश्वर महाराज

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