Friday, February 15, 2008

गीता की सर्व हितकारी विद्याएँ
(पूज्य बापू जी के सत्संग -प्रवचन से)

'गीता' में मुख्य रूप से बारह विद्याएँ हैं :

१. शोक-निवृत्ति की विद्या
२. कर्तव्य कर्म करने की विद्या
३. त्याग करने की विद्या
४. भोजन करने की विद्या
५. पाप न लगने की विद्या
६. विषय-सेवन की विद्या
७. भगवद अर्पण की विद्या
८. दान देने की विद्या
९. यज्ञ विद्या
१०. पूजन विद्या
११. समता लाने की विद्या
१२. कर्मों को सत बनाने की विद्या

आश्रम द्वारा प्रकाशित मासिक पत्रिका 'ऋषि प्रसाद' के अंक १७६ , अगस्त २००७ से संकलित
विस्तार आलेख के लिए कृपया उपरोक्त अंक पढ़ें .

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