Wednesday, June 02, 2010

मरो मरो सबको कहे,मरना न जाने कोई.....
एक बार ऐसा मरो ,फिर मरना न होए...........

"आज मजा आया.....आज उसकी बंदगी करने में मजा आ गया,आहहहा !!!!!!!!! रोज ऐसी मजा आया करे.........पर रोज ऐसे नहीं होता है......
जिस समय सुषुम्ना नाडी का द्वार खुल्ला होगा तब ही ऐसी मजा आयेगी.........बुधि में सत्वगुण हो जिस समय तब ही ऐसा मजा आयेगा.......
ये मजा आना और न आना ये आत्मा का स्वाभाव है......बस कम तमाम हो जाये इससे पहले उसको पालो............काम बन जाएगा.......
फिर ये मजा प्रतिदिन की हो जाएगी...........

निश्वासे नहीं विश्वास:
इस स्वाश की कोई गारंटी नहीं है........एक एक करके काम हो रहा है................उसको सही इस्तेमाल में लाओ.......

अहमदाबाद वाले कहेंगे की मुंबई में सुख है...मुंबई वाले कहेंगे की कोलकत्ता में सुख है........कोलकत्ता वाले कहेंगे की कश्मीर में सुख है.........
कश्मीर वाले कहेंगे की लग्न में सुख है........लग्न वाले कहेंगे की बल-बच्चो में सुख है ......
बल-बचे वाले कहेंगे की निवृति में सुख है.......फिर कहेंगे आखिर में की मरने में सुख है.........
ये एक की नहीं सबकी समस्या है......................
आखिर में कुछ हाथ नहीं लगने वाला ................खली रहे जाओगे..........

भूतकाल से बोध लेकर,वर्तमान में जिओ..........भविष्य की चिंता मत करो............कल क्या होगा?
क्या कहेंगे कल? अरे .......एक पंखी भी आनेवाले कल की नहीं सोचता की कल "डिन्नर" में क्या होगा?......
वो आराम-मस्ती से अपने गोसले में पलता है...........
प्रारब्ध वादी मत बनो.........पुरुषार्थ करे पर चिंतित होके नहीं...........

"मुर्दे को प्रभु देत है.......कपडा लकड़ा आग.......
जिन्दा नर चिंता करे ,उसके बड़े अभाग....."

अरे संसार के सभी दोस्त,कुटुंब के लोग आपको एक दिन कहेंगे की........
"यारो..!!!!हम बेवफाई करेंगे....................
तुम पैदल होंगे ,हम कंधे चलेंगे...."

सो,समय का अधिकतम सदुपयोग करले और जीवन को आनंदित-प्रफुल्लित बनाये..............
"""संसार तेरा घर नहीं, दो चार दिन रहेना यहाँ..................
कर याद अपने राज्य की,स्वराज्य निष्कंटक जहा............"""

हरी ॐ ....हरी ॐ......हरी ॐ...........

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