Thursday, April 17, 2008

सद् गुणों की खान : श्री हनुमान जी
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एक दिन भगवान श्री राम चंद्र जी और भगवती सीता जी झूले पर विराजमान थे । हनुमान जी आए और झूला झुलाने लगे । सीता जी ने कहा : "हनुमान ! पानी ... " रामजी ने कहा : "झूला चलाओ ." हनुमान जी झूले की रस्सी हाथ में लिए हुए पानी लेने गए ; झूला भी झूल रहा है और पानी भी ले आए ।
इस तरह हनुमानजी पूरी कुशलता से कर्म करते । कार्य की सफलता का सामर्थ्य कहाँ है , यह जानते हैं हनुमानजी । वे विश्रांति पाना जानते हैं । हनुमान जी को न परिणाम का भय है , न कर्मफल के भोग की कामना है, न लापरवाही है और न पलायनवादिता है ।

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