Monday, June 30, 2008

अनमोल वचन :-

तुम जियो तो ऐसा जियो कि जिसे देखो उसमें बस, अपना आत्मा-ब्रह्म दिखे
ऐसा खाओ कि जो खाओ वह प्रसाद हो जाए ।
जीवन बड़ा कीमती है वैमनस्य और विग्रह से अपने शक्तियों को क्षीण क्यों करना ?
व्यर्थ की चर्चा और व्यर्थ का वाणी-विलास करने से अपनेको बचाओ
सत्य परमात्मा में मन को लगाओ इसी जीवन में धन्यता का अनुभव करो
- परम पूज्य संत श्री आसारामजी बापू
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बारह कोस चलकर जाने से भी यदि सत्पुरुष के दर्शन मिलते हों तो मैं पैदल चलकर जाने के लिए तैयार हूँ क्योंकि ऐसे ब्रह्मवेत्ता महापुरुष के दर्शन से कैसा आध्यात्मिक लाभ मिलता है वह मैं अच्छी प्रकार से जानता हूँ
- स्वामी विवेकानन्द
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तृणादपि सुनीचेन तरोरिव सहिष्णुना
अमानिना मानदेन कीर्तनीयो सदा हरिः
तिनके से भी हलका, वृक्ष से भी अधिक सहनशील, स्वयं मान रहित रहकर तथा दूसरों को मान देकर नित्य भगवान श्रीहरि के नाम का संकीर्तन करना चाहिए
- चैतन्य महाप्रभु
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धन्या माता पिता धन्यो गोत्रं धन्यं कुलोद्भवः धन्या च वसुधा देवी यत्र स्याद गुरुभक्तता
हे पार्वती ! जिसके अन्दर गुरुभक्ति हो उसकी माता धन्य है, उसका पिता धन्य है, उसका कुल गोत्र / वंश धन्य है, उसके वंश में, जन्म लेनेवाले धन्य हैं, समग्र धरती माता धन्य है
- भगवान शिवजी

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