Tuesday, January 29, 2008

चेतना स्रोत : संत - महापुरुष वाणी

निर्भयता जीवन हैं, भय मृत्यु हैं उपनिषदों में बम की तरह आनेवाला शब्द 'निर्भयता' सारे अज्ञान-अन्धकार को मिटाता हैं भयभीत चित्त से ही सारे पाप होते हैं अतः निर्भय रहो ।

सदाचार निर्भयता की कुंजी है ।
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- परम पूज्य संत श्री आसारामजी बापू


धन्या माता पिता धन्यो गोत्रं धन्यं कुलोद्भवः
धन्या च वसुधा देवी यत्र स्याद गुरुभक्तता ॥


हे पार्वती ! जिसके अन्दर गुरुभक्ति हो उसकी माता धन्य है, उसका पिता धन्य है, उसका वंश धन्य है, उसके वंश में, जन्म लेनेवाले धन्य हैं, समग्र धरती माता धन्य है

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- भगवान शिवजी


'गीता'

विवेकरूपी वृक्षों का एक अपूर्व बगीचा है यह सब सुखों की नींव है सिद्धान्त-रत्नों का भण्डार है नवरसरूपी अमृत से भरा हुआ समुद्र है खुला हुआ परम धाम है और सब विद्याओं की मूल भूमि है

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- संत ज्ञानेश्वर महाराज


एक साधक भाई द्वारा संकलित । साधोवाद ....

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