अवतरण दिवस काव्य
करो संकल्प कुछ बढ़ कर , घड़ी यह आज आई है
मुबारक जन्म दिन तुमको , बधाई है - बधाई है
बधाई है तुमने स्वार्थ सुख को व्यर्थ समझा है
बधाई है कि तुमने जिन्दगी का अर्थ समझा है
लगे तुम मानने परमार्थ ही सच्ची कमाई है
बधाई है कि पहनी तुमने, सदगुण की सुमन माला
बधाई है कि तुमने महाकाल को ही है पहचाना
ये सुरभि सत्कर्म की आदत तुममे सदा समाई है
हटाई है कि तुमने दंभ ईर्ष्या द्वेष जीवन से
बधाई है कि ह्रदय में प्यार अनंत रखने को
बदलता है जगत ये बात जग को नित्य सिखाई है
बधाई है कि तुमने व्रत लिया है लोक मंगल का
बधाई है कि समझा है लक्ष्य जीवन के हर पल का
करो "शुभ" लक्ष्य जीवन का घड़ी यह आज आई है
करो संकल्प कुछ बढ़ कर घड़ी यह आज आई है
नारायण हरि
करो संकल्प कुछ बढ़ कर , घड़ी यह आज आई है
मुबारक जन्म दिन तुमको , बधाई है - बधाई है
बधाई है तुमने स्वार्थ सुख को व्यर्थ समझा है
बधाई है कि तुमने जिन्दगी का अर्थ समझा है
लगे तुम मानने परमार्थ ही सच्ची कमाई है
बधाई है कि पहनी तुमने, सदगुण की सुमन माला
बधाई है कि तुमने महाकाल को ही है पहचाना
ये सुरभि सत्कर्म की आदत तुममे सदा समाई है
हटाई है कि तुमने दंभ ईर्ष्या द्वेष जीवन से
बधाई है कि ह्रदय में प्यार अनंत रखने को
बदलता है जगत ये बात जग को नित्य सिखाई है
बधाई है कि तुमने व्रत लिया है लोक मंगल का
बधाई है कि समझा है लक्ष्य जीवन के हर पल का
करो "शुभ" लक्ष्य जीवन का घड़ी यह आज आई है
करो संकल्प कुछ बढ़ कर घड़ी यह आज आई है
नारायण हरि
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