हरि ॐ
अहमदाबाद चेटीचंड शिविर (अप्रैल २००८) के मुख्य बिन्दु :
1. अनित्य में मन नहीं लगाकर नित्य की और बढ़ना शुरू करना चाहिए । समय तेज़ी से निकल रहा है ।
2. रोज संध्या का समय ६५ सेकंड के लिए आन्तरिक कुम्भक और ४० सेकंड के लिए वाह्य कुम्भक पक्का करो । ऐसे ७ प्राणायाम करें ।
3. गहरी श्वास अन्दर लेते समय सोचे की ईश्वरीय चैतन्य को अन्दर ले रहे है .... फिर श्वास रोके तो सोचें कि मैं प्रभु का और प्रभु मेरे, बस ...
और श्वास बाहर निकालते समय सोचें कि सारी पुरानी बातें और सारे निगेटिव विचार बाहर निकल रहे हैं . ऐसे रोजाना प्रयोग करें और ॐ कि धुन में ध्यान में बैठ जायें । ऐसा ४० दिन करें बहुत आध्यात्मिक उन्नति होगी।
4. पेट ख़राब रहता हो तो बाहरी कुम्भक में त्रिबंध लगाकर बैठकर पेट को अंदर-बाहर करिये और मन में रं रं रं जप करिये।
5. जो भी प्राणायाम करें उसे त्रिबंध लगाकर ही करें ।
6. श्वासों श्वास का ध्यान अनिवार्य ।
7. शिशंक आसन में रोज़ बैठना है । २ मिनट बडों के लिए और ३ मिनट स्टूडेंट्स के लिए । वज्र आसन में बैठकर जब सिर को ज़मीन पर लगाते हैं उसे "शिशंक" आसन कहते हैं ।
ध्यान दें : जब बाहरी कुम्भक करें तब वज्र आसन में बैठकर करें ।
8. इन दिनों बिना नमक के खाना सेहत के लिए अच्छा है ।
9. इन दिनों जप बढ़ा दे जब तक नवरात्र हैं ।
10. आंवला रोज़ खाने से आंते शुद्ध होती है । इन दिनों आंवला खाइए ।
11.श्रद्धा का जीवन में बहुत लाभ है । ये विश्व श्रद्धा से चल रहा है न की किसी और से । श्रद्धा बढाओ और भगवान में प्रीती ।
12. रोज़ सुबह उठकर थोडी देर भगवान से बातें करें और रात को सोने से पहले भी । पक्का नियम बना लें ।
शिविर में पधारे एक साधक भाई के सहयोग से संकलित ।
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