५ मंत्रों की आहुति मन ही मन करें
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पूज्य बापू जी ने Sony TV पर सत्संग में भगवान को मन से प्रार्थना करते हुए मन ही मन निम्न लिखित पाँच (५) मंत्रों की आहुतियाँ देने के लिए कहा है :
1। Om Avidyaam Juhomi Svaha
1। Om Avidyaam Juhomi Svaha
अर्थ : हे परमात्मा ! हम अपनी अविद्या को , अज्ञान को , आपके ज्ञान में स्वाहा करते हैं ।
2। Om Asmita Juhomi Svaha
अर्थ : अपने शरीर से जुड़ कर हमने जो मान्यताएं पकड़ रखी हैं , धन की , पद की , आदि उन सब को हम स्वाहा करते हैं ।
3। Om Raagam Juhomi Svaha
अर्थ : जिसमें राग होता है उसके दुर्गुण नहीं दिखते , और जिसमें द्वेष होता है उसके गुण नहीं दिखते । हम किसी भी व्यक्ति , वस्तु अथवा परिस्थिति से राग न करें ; राग को हम स्वाहा करते हैं ।
4। Om Dvesham Juhomi Svaha
अर्थ : किसी भी व्यक्ति , वस्तु अथवा परिस्थिति से द्वेष न करें ; द्वेष को भी हम स्वाहा करते हैं ।
5। Om Abhinivesham Juhomi Svaha
अर्थ : मृत्यु का भय निकाल दें ; यह शरीर मैं हूँ और मैं मर जाऊंगा इस दुर्बुद्धि का मैं त्याग करता हूँ ; जो शरीर मरता है वह मैं अभी से नहीं हूँ ; जो शरीर के मरने के बाद भी रहता है , वह मैं अभी से हूँ ।
2। Om Asmita Juhomi Svaha
अर्थ : अपने शरीर से जुड़ कर हमने जो मान्यताएं पकड़ रखी हैं , धन की , पद की , आदि उन सब को हम स्वाहा करते हैं ।
3। Om Raagam Juhomi Svaha
अर्थ : जिसमें राग होता है उसके दुर्गुण नहीं दिखते , और जिसमें द्वेष होता है उसके गुण नहीं दिखते । हम किसी भी व्यक्ति , वस्तु अथवा परिस्थिति से राग न करें ; राग को हम स्वाहा करते हैं ।
4। Om Dvesham Juhomi Svaha
अर्थ : किसी भी व्यक्ति , वस्तु अथवा परिस्थिति से द्वेष न करें ; द्वेष को भी हम स्वाहा करते हैं ।
5। Om Abhinivesham Juhomi Svaha
अर्थ : मृत्यु का भय निकाल दें ; यह शरीर मैं हूँ और मैं मर जाऊंगा इस दुर्बुद्धि का मैं त्याग करता हूँ ; जो शरीर मरता है वह मैं अभी से नहीं हूँ ; जो शरीर के मरने के बाद भी रहता है , वह मैं अभी से हूँ ।
हरि ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ
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