सदाचार निर्भयता की कुंजी है ।
धन्या माता पिता धन्यो गोत्रं धन्यं कुलोद्भवः
धन्या च वसुधा देवी यत्र स्याद गुरुभक्तता ॥
हे पार्वती ! जिसके अन्दर गुरुभक्ति हो उसकी माता धन्य है, उसका पिता धन्य है, उसका वंश धन्य है, उसके वंश में, जन्म लेनेवाले धन्य हैं, समग्र धरती माता धन्य है
'गीता'
विवेकरूपी वृक्षों का एक अपूर्व बगीचा है यह सब सुखों की नींव है सिद्धान्त-रत्नों का भण्डार है नवरसरूपी अमृत से भरा हुआ समुद्र है खुला हुआ परम धाम है और सब विद्याओं की मूल भूमि है
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एक साधक भाई द्वारा संकलित । साधोवाद ....
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